Sunday, June 19, 2011

Uff yeh Mohabbat....

मैं  आपसे मोहब्बत क्यूँ करती हूँ ? 

काश मैं यह बात जान पाती. पता नहीं क्यूँ , पर आप मेरी एक ज़रुरत हो, एक नशा हो जो जाता ही नहीं. 
क्या करून इस आदत का?
क्या करून इस इबादत का?

वक़्त का तकाज़ा है, प्यार में मैंने सब हारा है.......
अब भी दिल टूटने का डर है, पर क्या करून यह दिल हारा है....
अब कदम पीछे क्यूँ हटाऊँ?
नहीं , मैं कदम ना हटाउंगी....
मैंने प्यार किया है चोरी नहीं की

जब तनहा होती हूँ तोह सोचती हूँ....
क्यूँ मैं ऐसी हूँ?
क्या है जो मैं ढूँढती हूँ?
किसका इंतज़ार है मुझे?
और बस एक चेहरा नज़र आता है..... आपका
आप न होते तोह भी यह जीवन चलता रहता,
पर अब इस में एक सुरूर आ गया है...
एक नशा , एक ऐसा नशा जो जाए नहीं जाता
बस एक एहसास दिला जाता है..
कल फिर आएगा....
और उनकी याद मुझे फिर आएगी...
और तड़पा के , तनहा करके जायेगी

जो यह जुदाई है.. काश ना होती..
पर है... और एक निशानी है, हमारे प्यार की....
उस प्यार की कहानी है... जिसका हर मौड़ पे इम्तेहान होता है....
पर वोह तो वहीँ रहता है....राहें बदल जाती है...
पर एक मौड़ ऐसा आता है... जहाँ हमारे रास्ते फिर मिलते हैं ...
और हम फिर एक हो जाते हैं

उफ़ यह मोहब्बत.... उफ़ यह तन्हाई.... उफ़ यह जुदाई







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