Thursday, April 24, 2014

उसकी कायनात की मिल्कियत ...

उसकी कायनात की मिल्कियत है वो ...
उसकी जिंदादिली की हरकत है वो...
है वो कोई और नहीं ...
उसके अन्दर की आवाज़ है वो...
अपने दिल के बादशाह की मिल्कियत है वो ...
किसी की कनीज़ नहीं ...
अपने आप में रज़िया है वो|

किसी की राह का पत्थर नहीं...
अपने में मस्त आदम है वो...
अपने बादशाह की रज़िया है वो....
किसी की मिल्कियत नहीं ...
अपने बुल्लेशाह की कायनात की ...
जीती जागती मिसाल है वो|

कोई रोक नहीं सकता ...
उसके अन्दर उठे उफान को...
सरफ एक बांध है ...
जो उस्की राह रोक सके ....
और कोई नहीं ....
अपने खुदा की खुदाई है वो...
अपने बादशाह की रिहाई है वो|


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